Wednesday, August 29, 2012

तू अब भी मुझे पहचान लेती है।।

मैं जब भी तेरी गली से गुजरता हूँ,
मेरी आँखें एक दस्तक दे देती है।
दुःख ये नहीं, तू दरवाजा बंद कर लेती है,
ख़ुशी ये है, तू अब भी मुझे पहचान लेती है।।

भीगी तेरी पलक देखी।।

जब तेरी आँखों की चमक देखी,
हर सूरत में तेरी झलक देखी ।
अचानक दिल बेकाबू होकर रोने लगा,
जब आंसुओं से भीगी तेरी पलक देखी।।

मुझे तो टूट जाने की आदत है...

बिन बात के रूठ जाने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की आदत है।
तू खुश रहे मेरा क्या है,
मैं तो शीशा हूँ,
मुझे तो टूट जाने की आदत है ....

Sunday, August 26, 2012

वापस आपका स्वागत है!

हैलो दोस्तों,

इस ब्लॉग पर  वापस आपका स्वागत है!
बहुत दिनों के बाद, मैंने अपने इस ब्लॉग का दौरा किया और कुछ लिखने के लिए की इच्छा हुई| अब, मैं  समय - समय पर यहाँ लिखता रहूँगा |

और मेरे दुश्मनो तुम सुनाओ, तुम्हारे क्या हाल हैं? खुश तो हो न मेरी जिन्दगी को तबाह करके या फिर अब भी दुखी हो ?? वेसे तो किसी को दुःख देकर कोई खुश नहीं रह सकता, ऐसा मैं नहीं लोग कहते हैं, लेकिन मैं तो रब से यही दुआ करूँगा कि तुम खुश रहो।

और तू कैसी है ? मेरी हमसफ़र। तू तो जिन्दगी भर साथ  देने की बात करती थी. और कुछ ही दिनों में साथ छोड़ गयी इस दुनिया के डर से । परन्तु सही भी है , जो डरते हैं वो प्यार क्या खाक करेंगे ? और एक बात और मुझे सिखाई है तूने ???????
यही कि जो अपने माँ बाप को धोखा देकर मुझसे मिलने आ सकती है वो मेरी क्या खाक होगी ?
लड़कियां तो जन्मजात धोखेबाज होती हैं, मैं नहीं जानता लेकिन तूने ज्ञान करा दिया।
थैंक्स यार!!!
लेकिन तू खुश रहना मेरा जो होना है, होने दे।