Thursday, November 29, 2012

पर क्यूँ

मेरी मोहब्बत का ऐसा हाल हुआ,
किसी से बयाँ न कर पाया।
न उसकी यादों ने जीने दिया,
और न जमाने के डर से मर पाया।

चलती है जहाँ तेरी बात,
मैं चुप सा हो जाता हूँ;
तेरे दिए जख्मों को मैं,
किसी को दिखा भी नहीं पाया।
गर करूँगा तेरी बुराई मैं,
तो लोग मुझ पे हसेंगे;
कहेंगे-इस बेवफा के लिए,
छोड़ा तूने अपना साया।

इसलिए दर्द-ए-दिल को,
दबाकर रखा है सीने में।
तेरी यादों को ही मैंने;
अब हमसफ़र अपना बनाया।
मुझे मालूम है तू अबतक,
मुझे दिल से भुला चुकी होगी ;
'वो पागल तो मर चूका होगा अब तक'
इस तरह दिल को समझा चुकी होगी।

न जाने फिर क्यूँ तू मुझसे ,
भुलाई नहीं जाती?
तुझे तो नहीं आती मेरी याद,
पर क्यूँ मैं तुझे?
अभी तक नहीं भुला पाया।

मेरा-तेरा

मंजिलें भी तेरी थी और रास्ता भी तेरा,
तेरा प्यार पा लूँ, बस यही था सपना मेरा।
मेरे साथ रहने की कसम भी तेरी थी, 
फिर अकेला छोड़ जाने का था खयाल भी तेरा।
हाथों में हाथ लेकर मुझे हँसाने की सोच भी तेरी थी,
मेरी आँखों में आँसू देने का सिलसिला भी तेरा।

मैं क्यूँ यहाँ तनहा रह गया?
मेरा दिल सवाल करता है;
किस्मत तो तेरी थी,
पर क्या खुदा भी था तेरा?

खुदा बोला तेरे और मेरे बारे में  -
तुझे खुदा बनाने की गलती मेरी थी,
तुझ पर यकीन करने का ख्याल भी मेरा।
तुझे क्या गम होगा मेरे जाने का,
सच्चा प्यार तेरा नहीं, सच्चा प्यार तो था सिर्फ मेरा।

Sunday, November 25, 2012

किस के लिए लिखूं?

    मैं अभी-अभी एक पार्टी अटेंड करके वापस लौटा हूँ। गया तो था अपने अकेलेपन को दूर करने लेकिन वहां पहुँच कर तो और भी अकेलापन महसूस करने लगा और बिना कुछ खाए-पिए जल्दी ही वापस आ गया। दिल में बेचैनी हो रही थी क्योंकि पार्टी ने कुछ पुराने पलों की याद दिलाकर जख्मो को ताज़ा हवा दे दी। वापस आकर दिल को सुकून नही मिला तो कुछ लिखने बैठ गया। सर में बहुत तेज दर्द भी है इसलिए कुछ करने का मन तो नही है। सोच रहा हूँ सुबह लिख लूँगा परन्तु फिर तो फिर ही होता है। कबीरददास जी ने भी कहा है- "काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ...." इसलिए मैंने सोच लिया कि जो लिखना है वह सब अभी लिख देता हूँ ....

Thursday, November 22, 2012

अतीत के पन्ने

आज की रात मैं एकदम से हडबड़ा कर उठ बैठा और सोचने लगा कि मुझे क्या करना चाहिए। वो बहुत बड़ी मुशीबत में है। 

Tuesday, November 20, 2012

मैंने जीना सीख लिया ...

हाँ तुझे ही बता रहा हूँ मैं ...

जिन्दगी भर धोखे खायेगा तू। कहा जाता है- "जैसी करनी वैसी भरनी"
आज जिसके लिए तू वफादार बनता फिर रहा है, उसमे इतनी भी अकल नहीं होगी क्या? कि कल तू मेरे साथ था और आज उसके साथ। परन्तु वह तुझे क्यों गलत कहेगा? वह जनता है कि जब तक मजे लेने हैं तब तक ले लूँ। फ्री में मिल रहे हैं, कल को तुझ जैसा बेवकूफ कहा मिलने वाला है। एक बात तुझे बता दूँ-  वह भी जनता है की  तू वैश्या बन गया है। और ऐसी वैश्या जिसके लिए उसे कुछ खर्च भी नहीं करना पड़ रहा। वह तुझे जूठे प्रोमिस कर-कर के तेरी ज़िन्दगी को जहन्नुम बना देगा। अभी तो तुझे मेरी बात शूल की तरह चुभ रही होंगी, लेकिन एक दिन तुझे एहसास जरुर होगा।उस दिन तुझे मेरी बाते, आदते भाने लगेंगी। आज तो तू यही कहेगा की- तू बहुत नीच है। अरे तू क्या जाने प्यार क्या होता है। मेरा ढेर सारा प्यार पाकर तुझे सहन नहीं हो पाया और तू बौखला गया। 
मैंने तो जीना सीख लिया- दुनिया बहुत मतलबी है यह भी देख लिया।

Saturday, November 17, 2012

"दाग"

वो तो खुशबू से नफरत करने के लिए जाने जाते हैं,
और हम अपने जहाँ में फूलों के कद्रदार माने जाते हैं।
उनके घर में सजती हैं  हर रोज महफ़िलें,
और रुख हमारे बदनाम किये जाते हैं।
कहते हैं "दाग" वो जिन्हें,
वे हमारे मस्तक पर तिलक किये जाते हैं।।

-रवि सर (01:21 AM. शनिवार, 17 नवम्बर 2012)

Thursday, November 15, 2012

एक में भी तनहा थे ...

आईने के सौ टुकड़े
करके हमने देखे है,
एक में भी तनहा थे,
सौ में भी अकेले हैं।

जो बना था एक साथी वो भी हम से रूठा है,
बेवफा नहीं जब वो फिर क्यों हम से रूठा है।
खोई-खोई आँखों में,
आंशुओं के मेले हैं .....एक में भी तनहा थे ...

मैं गिरा हुआ या तू ???


आजा तुझको पुकारे मेरा प्यार

आ आ आ जा आजा आजा आजा।
तुझको पुकारे मेरा प्यार हो
तुझको पुकारे मेरा प्यार।
आजा मैं तो मिटा हूँ तेरी चाह में।

आखिरी पल है, आखिरी आहें,
 तुझे ढूंढ़ रही है।
डूबती सांसे बुझती निगाहें,
तुझे ढूंढ़ रही है।।
सामने आजा एक बार ...
आजा मैं तो मिटा हूँ ....
तुझको पुकारे मेरा प्यार।

दोनों जहाँ की भेंट चढ़ा दी मैंने,
चाह में तेरी।
अपने बदन की खाक मिला दी मैंने,
राह में तेरी।।
अब तो चली एक बार ...
आजा मैं तो मिटा हूँ .....
तुझको पुकारे ...

इतने युगों तक इतने दुखों को।
कोई सह न सकेगा।
तेरी कसम मुझे, तू है किसी की,
कोई कह न सकेगा।।
मुझ से है तेरा इकरार ...
आजा मई तो मिटा हु ....
तुझ को पुकारे .....

तेरी नजर की आश पड़े तो,
बुझे प्यास मिलन की।
तेरे बदन की ओट मिटे तो,
रहे लाज लगन की।।
मिल जाये चैन करार ....
आजा मैं तो मिटा हूँ ...
तुझको पुकारे मेरा प्यार ....