आईने के सौ टुकड़े
करके हमने देखे है,
एक में भी तनहा थे,
सौ में भी अकेले हैं।
जो बना था एक साथी वो भी हम से रूठा है,
बेवफा नहीं जब वो फिर क्यों हम से रूठा है।
खोई-खोई आँखों में,
आंशुओं के मेले हैं .....एक में भी तनहा थे ...
करके हमने देखे है,
एक में भी तनहा थे,
सौ में भी अकेले हैं।
जो बना था एक साथी वो भी हम से रूठा है,
बेवफा नहीं जब वो फिर क्यों हम से रूठा है।
खोई-खोई आँखों में,
आंशुओं के मेले हैं .....एक में भी तनहा थे ...
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