मैं अभी-अभी एक पार्टी अटेंड करके वापस लौटा हूँ। गया तो था अपने अकेलेपन को दूर करने लेकिन वहां पहुँच कर तो और भी अकेलापन महसूस करने लगा और बिना कुछ खाए-पिए जल्दी ही वापस आ गया। दिल में बेचैनी हो रही थी क्योंकि पार्टी ने कुछ पुराने पलों की याद दिलाकर जख्मो को ताज़ा हवा दे दी। वापस आकर दिल को सुकून नही मिला तो कुछ लिखने बैठ गया। सर में बहुत तेज दर्द भी है इसलिए कुछ करने का मन तो नही है। सोच रहा हूँ सुबह लिख लूँगा परन्तु फिर तो फिर ही होता है। कबीरददास जी ने भी कहा है- "काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ...." इसलिए मैंने सोच लिया कि जो लिखना है वह सब अभी लिख देता हूँ ....
Sunday, November 25, 2012
किस के लिए लिखूं?
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment